परेश रावल की आगामी फिल्म द ताज स्टोरी का मोशन पोस्टर 29 सितंबर 2025 को रिलीज होते ही विवादों का तूफान बन गया। पोस्टर में परेश रावल ताजमहल के गुंबद को हटाते दिखते हैं, जिसके नीचे भगवान शिव की मूर्ति उभरती है, और कैप्शन पूछता है, “क्या होगा अगर जो कुछ आपको सिखाया गया है, वह झूठ हो?” इस इमेजरी ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं, जहां कुछ यूजर्स ने इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताया, तो कुछ ने ऐतिहासिक पुनर्व्याख्या का समर्थन किया। 31 अक्टूबर 2025 को रिलीज होने वाली यह फिल्म ताजमहल के निर्माण को लेकर वैकल्पिक दृष्टिकोण पेश करती है। मेकर्स ने स्पष्ट किया कि यह धार्मिक दावों को बढ़ावा नहीं देती, बल्कि ऐतिहासिक तथ्यों पर केंद्रित है। यह विवाद भारत में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बहसों को फिर से जगा रहा है। आइए जानें इस विवाद की जड़ें, फिल्म की कहानी, और दर्शकों के लिए इसका क्या मतलब है।
पोस्टर का विवाद: शिव मूर्ति और ताजमहल का कनेक्शन क्यों बना चर्चा?
मोशन पोस्टर में परेश रावल एक रहस्यमयी इतिहासकार के रूप में ताजमहल के शीर्ष को खोलते हैं, जिससे शिव लिंग की प्रतीकात्मक छवि सामने आती है। कैप्शन “क्या होगा अगर जो कुछ आपको सिखाया गया है, वह झूठ हो?” ने तुरंत बहस छेड़ दी। सोशल मीडिया पर #TheTajStory और #TajControversy ट्रेंड करने लगे, जहां यूजर्स ने इसे “सांप्रदायिक प्रोपगैंडा” से लेकर “इतिहास की साहसी खोज” तक करार दिया। कुछ ने ताजमहल को यूनेस्को विश्व धरोहर और भारत की सांस्कृतिक पहचान बताते हुए पोस्टर की आलोचना की, जबकि अन्य ने इसे वैकल्पिक इतिहास पर विचार करने का मौका माना। मेकर्स ने तुरंत सफाई दी कि फिल्म का मकसद धार्मिक विवाद खड़ा करना नहीं, बल्कि ताजमहल के निर्माण की कहानी को नए नजरिए से पेश करना है। यह पोस्टर फिल्म के अगस्त में रिलीज हुए टीजर का हिस्सा था, जो एक कोर्टरूम ड्रामा पर आधारित था।
फिल्म की कहानी: ताजमहल के इतिहास पर सवाल, लेकिन धार्मिक दावों से दूरी
द ताज स्टोरी एक कोर्टरूम ड्रामा है, जो ताजमहल के निर्माण को लेकर पारंपरिक कथानकों को चुनौती देती है। यह मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनाए गए इस स्मारक की कहानी को नए दृष्टिकोण से देखती है, जिसमें ऐतिहासिक दस्तावेजों और वैकल्पिक सिद्धांतों का जिक्र है। फिल्म का दावा है कि यह न तो धार्मिक मिथकों को बढ़ावा देती है और न ही ताजमहल को शिव मंदिर साबित करने की कोशिश करती है। निर्देशक तुषार अमरीश गोयल ने स्क्रिप्ट को तथ्य-आधारित रखने की कोशिश की है, जो कोर्टरूम डिबेट्स और ऐतिहासिक रिसर्च पर फोकस करती है। परेश रावल एक इतिहासकार और वकील की भूमिका में हैं, जो ताजमहल के मूल को उजागर करने की कोशिश करता है। फिल्म स्वर्णिम ग्लोबल सर्विसेज द्वारा निर्मित है और इसका बजट मध्यम स्तर का है, जो इसे मास और क्लास दोनों ऑडियंस के लिए अपीलिंग बनाता है।
विवाद की जड़ें: ताजमहल और तेजो महालय थ्योरी का सच क्या?
ताजमहल को लेकर विवाद नया नहीं है। कुछ इतिहासकारों और सिद्धांतकारों ने दावा किया है कि ताजमहल ‘तेजो महालय’ नामक शिव मंदिर था, जिसे मुगलों ने मकबरे में बदला। यह थ्योरी 1980 के दशक से चर्चा में रही, लेकिन आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि ताजमहल शाहजहां द्वारा बनाया गया मकबरा है। द ताज स्टोरी इस थ्योरी को सीधे सपोर्ट नहीं करती, लेकिन इसका पोस्टर इस सिद्धांत को हवा देता नजर आया। दर्शकों के लिए यह समझना जरूरी है कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों और फिक्शन का मिश्रण है, जो डिबेट को प्रोत्साहित करती है। टिप्स फॉर रीडर्स: अगर आप इस तरह के विवादों को समझना चाहते हैं, तो प्राइमरी सोर्स जैसे एएसआई की वेबसाइट या यूनेस्को के रिकॉर्ड्स चेक करें।
मेकर्स की सफाई: धार्मिक मिथकों से दूरी, लेकिन बहस का स्वागत
विवाद के बाद मेकर्स ने बयान जारी किया: “द ताज स्टोरी का मकसद किसी की भावनाएं आहत करना नहीं है। यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों और डिबेट्स पर आधारित है, न कि धार्मिक दावों पर। हम दर्शकों से अनुरोध करते हैं कि फिल्म देखकर अपनी राय बनाएं।” परेश रावल ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि यह कहानी “इतिहास को नए नजरिए से देखने की कोशिश है।” मेकर्स ने यह भी बताया कि फिल्म को लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में अप्रैल 2025 में स्क्रीन किया गया था, जहां इसे सराहना मिली। वैल्यू ऐडेड टिप: अगर आप ऐसी फिल्में देखने जा रहे हैं, तो पहले प्री-स्क्रीनिंग डिस्कशन्स या रिव्यूज पढ़ें ताकि सही कॉन्टेक्स्ट समझ सकें।
सोशल मीडिया पर तूफान: ट्रोल्स, मीम्स और समर्थन की बाढ़
सोशल मीडिया पर विवाद ने दो धड़े बना दिए। एक यूजर ने लिखा, “ताजमहल भारत की गर्व की धरोहर है, इसे विवाद में न घसीटें।” वहीं, कुछ ने इसे “इतिहास की सच्चाई सामने लाने” की कोशिश माना। #TheTajStory ने लाखों इंप्रेशन बटोरे, और मीम्स से लेकर डिबेट्स तक वायरल हो रहे हैं। यह विवाद फिल्म की मार्केटिंग को अनजाने में बूस्ट दे रहा है, लेकिन सेंसर बोर्ड की सख्ती बढ़ सकती है। वैल्यू ऐडेड टिप: सोशल मीडिया डिबेट्स में हिस्सा लेने से पहले तथ्यों की जांच करें। X जैसे प्लेटफॉर्म्स पर दोनों पक्षों की राय पढ़ें, लेकिन न्यूट्रल रहें।
रिलीज और अपेक्षाएं: क्या विवाद बॉक्स ऑफिस को प्रभावित करेगा?
द ताज स्टोरी 31 अक्टूबर 2025 को थिएटर्स में आएगी, जो दिवाली के ठीक पहले है। विवाद ने फिल्म को सुर्खियों में ला दिया है, जो प्री-बुकिंग को बढ़ा सकता है। परेश रावल का स्टारडम और कोर्टरूम ड्रामा की अपील इसे 100 करोड़ क्लब में ले जा सकती है। हालांकि, सेंसर बोर्ड की ओर से कट्स या यू/ए सर्टिफिकेट में देरी हो सकती है। वैल्यू ऐडेड टिप: अगर आप फिल्म देखने की सोच रहे हैं, तो थिएटर्स में IMAX या 4DX फॉर्मेट चुनें, क्योंकि कोर्टरूम सीन विजुअली इमर्सिव होंगे।
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