बॉलीवुड के प्रसिद्ध पार्श्व गायक कुमार शानु ने डिजिटल युग में अपनी पहचान की सुरक्षा के लिए कानूनी कदम उठाया है, जब उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी पर्सनैलिटी और पब्लिसिटी राइट्स की रक्षा के लिए याचिका दायर की, जो ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिषेक बच्चन, करण जौहर और सुनील शेट्टी जैसे सितारों के हालिया प्रयासों के बाद एक महत्वपूर्ण विकास है, और यह कदम अनधिकृत डिजिटल दुरुपयोग के बढ़ते खतरे को उजागर करता है। कुमार शानु की याचिका में दावा किया गया है कि कई तीसरे पक्ष उनके नाम, आवाज, गायन शैली, छवि और हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर रहे हैं, जैसे कि जीआईएफ, ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग्स जो उनकी परफॉर्मेंस को शामिल करती हैं, और ये कार्य न केवल जनता को गुमराह करते हैं बल्कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं तथा कॉपीराइट एक्ट के तहत नैतिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। यह मामला 11 अक्टूबर 2025 को दायर किया गया, जब डीपफेक और एआई जनरेटेड कंटेंट का इस्तेमाल सेलिब्रिटी इमेज को कमर्शियल लाभ के लिए हाईजैक करने के उदाहरण बढ़ रहे हैं, और कुमार शानु ने अदालत से अनधिकृत उपयोग पर स्थायी रोक लगाने तथा कंटेंट हटाने का अनुरोध किया है, जो उनकी चार दशकों की विरासत को बचाने का प्रयास है। हाल के महीनों में ऐश्वर्या राय बच्चन ने अपनी छवि और एआई लाइकनेस के दुरुपयोग के खिलाफ अंतरिम राहत प्राप्त की, जबकि अभिषेक बच्चन ने अपनी आवाज और इमेज के कमर्शियल उपयोग पर रोक लगवाई, और करण जौहर ने अनधिकृत फैन पेज तथा मर्चेंडाइज सेल्स के खिलाफ कार्रवाई की। सुनील शेट्टी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी पोती के साथ डीपफेक फोटो का हवाला देते हुए याचिका दायर की, जो इस ट्रेंड को और मजबूत करता है। #KumarSanuPersonalityRights और #CelebrityRightsIndia जैसे हैशटैग्स के साथ यह खबर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है, जो डिजिटल नैतिकता पर बहस छेड़ रही है।
कुमार शानु की याचिका का विवरण और पर्सनैलिटी राइट्स का महत्व
कुमार शानु की याचिका में विस्तार से बताया गया है कि अनधिकृत तरीके से उनकी परफॉर्मेंस के ऑडियो-वीडियो क्लिप्स का उपयोग ‘अनस्वेरी ह्यूमर’ के लिए हो रहा है, जो उनकी छवि को धूमिल करता है और जनता को यह भ्रम पैदा करता है कि वे किसी उत्पाद या सेवा का समर्थन कर रहे हैं, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है, और यह दुरुपयोग कॉपीराइट एक्ट की धारा 17 के तहत नैतिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है जो कलाकार की रचना पर नियंत्रण सुनिश्चित करता है। याचिका में अदालत से निर्देश मांगे गए हैं कि सभी प्लेटफॉर्म्स पर इनफ्रिंगिंग कंटेंट को तुरंत हटाया जाए तथा भविष्य में किसी भी रूप में—चाहे एआई, डीपफेक या मर्चेंडाइज—उनकी पर्सनैलिटी के दुरुपयोग पर रोक लगाई जाए, जो उनकी गायकी की अनूठी शैली और विरासत को सुरक्षित रखेगा। पर्सनैलिटी राइट्स का कॉन्सेप्ट, जो व्यक्ति की पहचान, नाम, छवि और आवाज को कमर्शियल एक्टिविटीज से जोड़ता है, हाल के वर्षों में भारत में मजबूत हुआ है, जैसे कि अनिल कपूर के ‘झकास’ कैचफ्रेज को दिल्ली हाई कोर्ट ने 2023 में संरक्षित किया था, और अमिताभ बच्चन ने 2022 में अपनी सेलिब्रिटी स्टेटस के दुरुपयोग पर अंतरिम राहत प्राप्त की, जो कुमार शानु के मामले को मजबूत आधार प्रदान करता है। ऐश्वर्या राय बच्चन की याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि पर्सनैलिटी राइट्स व्यक्ति की स्वायत्तता का हिस्सा हैं, जो अपनी छवि के शोषण की अनुमति या इनकार करने का अधिकार देते हैं, और यह फैसला अन्य मामलों के लिए प्रेसिडेंट बन गया है। करण जौहर ने 2025 में अनधिकृत ऑनलाइन फैन पेज तथा मीम अकाउंट्स के खिलाफ राहत मांगी, जबकि सुनील शेट्टी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी पोती के साथ फेक फोटो का उदाहरण देकर एआई के अनियमित उपयोग को ‘डरावना’ बताया, जहां कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि यह सामाजिक मीडिया पर खतरा पैदा कर रहा है। कुमार शानु का यह कदम न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का है बल्कि डिजिटल युग में कलाकारों की अस्मिता को बचाने का सामूहिक प्रयास भी दर्शाता है।
सेलिब्रिटी मामलों का ट्रेंड और भविष्य की कानूनी संभावनाएं
कुमार शानु की याचिका के बाद सेलिब्रिटी कम्युनिटी में पर्सनैलिटी राइट्स पर चर्चा तेज हो गई है, जहां अभिनेता अक्किनेनी नागार्जुन और पत्रकार सुधीर चौधरी ने भी इसी तरह की अंतरिम राहत प्राप्त की है, जो दर्शाता है कि डीपफेक और एआई टूल्स का दुरुपयोग अब एक महामारी बन चुका है, और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड अदालतों को डिजिटल राइट्स पर नए दिशानिर्देश बनाने के लिए मजबूर करेगा। सोशल मीडिया पर #PersonalityRightsTrend और #AICelebrityMisuse जैसे हैशटैग्स के साथ यूजर्स ने कुमार शानु की कार्रवाई का समर्थन किया है, जहां कई ने कहा कि उनकी 90 के दशक की हिट गानों की विरासत को बचाना जरूरी है, जबकि कुछ ने सरकार से सख्त एआई रेगुलेशन्स की मांग की। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिल्ली हाई कोर्ट कुमार शानु को जल्द अंतरिम राहत दे सकता है, जैसा कि अन्य मामलों में हुआ, और यह फैसला भविष्य में कलाकारों के लिए एक मजबूत प्रेसिडेंट सेट करेगा, खासकर जब डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनधिकृत एंडोर्समेंट्स का चलन बढ़ रहा है। हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि ये याचिकाएं फ्री स्पीच को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पर्सनैलिटी राइट्स का उल्लंघन जनहित में नहीं है। यह मामला भारतीय मनोरंजन उद्योग को डिजिटल सुरक्षा की ओर धकेल रहा है, जहां कलाकार अपनी पहचान को कानूनी ढाल से सुरक्षित कर सकें।