तेलुगु सिनेमा में हॉरर जॉनर को नया रूप देने का प्रयास करते हुए ‘किष्किंधापुरी’ ने दर्शकों को एक रहस्यमयी और डरावनी यात्रा पर ले जाने की कोशिश की है, जहां एक पुरानी रेडियो स्टेशन की भूतिया दुनिया में फंसे पर्यटकों की कहानी को इतनी बारीकी से बुना गया है कि यह तेलुगु हॉरर फिल्मों की सामान्य कमजोरियों—जैसे अतिरिक्त कॉमेडी और कम थ्रिल—से ऊपर उठकर चमकती नजर आती है। निर्देशक कौशिक पेगल्लापति की यह डेब्यू फिल्म, जो 12 सितंबर 2025 को थिएटर्स में रिलीज हुई, बेल्लमकोंडा साई श्रीनिवास और अनुपमा परमेश्वरन की जोड़ी पर आधारित है, जहां एक घोस्ट टूर के दौरान पर्यटक एक सोई हुई आत्मा को जगा देते हैं और अब वे सुवर्णमाया रेडियो स्टेशन से बचने के लिए जद्दोजहद करते हैं, जो सुपरनैचुरल ताकतों से भरी हुई है। यह फिल्म न केवल जंप स्केयर्स और ट्विस्ट्स से भरपूर है बल्कि सेल्फ-अवेयर ह्यूमर के जरिए अपनी साफ-सुथरी कमियों को छिपाने में सफल रही है, जैसे कि एक पर्यटक जो गाइड राघव की झूठी कहानियों को पकड़ लेता है लेकिन अंत में डरकर खराब रिव्यू दे देता है। हालांकि, कुछ दृश्यों में प्रेडिक्टेबल रहस्य और रश्ड इमोशनल डेप्थ ने इसे परफेक्ट होने से रोक दिया, फिर भी यह तेलुगु हॉरर के लिए एक ताजगी भरा बदलाव है जो दर्शकों को स्क्रीन से बांधे रखती है।
किष्किंधापुरी की कहानी, कास्ट और तकनीकी पहलू
‘किष्किंधापुरी’ की कहानी एक घोस्ट टूर से शुरू होती है, जहां गाइड राघव (बेल्लमकोंडा साई श्रीनिवास) पर्यटकों को पुरानी रेडियो स्टेशन की डरावनी कहानियां सुना रहा होता है, लेकिन जब वे अंदर घुसते हैं तो एक सोई हुई आत्मा जाग जाती है, और अब सभी को स्टेशन से बाहर निकलने के लिए सुपरनैचुरल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो फिल्म को सस्पेंसफुल बनाती है और बैकस्टोरी को फ्लैशबैक के जरिए उकेरती है। बेल्लमकोंडा साई श्रीनिवास ने राघव के किरदार को अच्छे से निभाया है, जो शुरू में मास हीरो लगता है लेकिन जल्दी ही इमोशनल लेयर दिखाता है, जबकि अनुपमा परमेश्वरन की भूमिका पहले हाफ में हॉरर को सपोर्ट करती है लेकिन दूसरे हाफ में इमोशनल टेरिटरी में कमजोर पड़ जाती है। सपोर्टिंग कास्ट में मकरंद देशपांडे, तनिकेला भारनी और हाइपर आदि जैसे कलाकार कॉमेडी और ड्रामा को बैलेंस करते हैं, जहां हाइपर आदि की हास्यपूर्ण हरकतें फिल्म को हल्का रखती हैं। निर्देशक कौशिक पेगल्लापति ने जंप स्केयर्स को प्रभावी तरीके से प्लेस किया है, और चिन्मय सलस्कर की सिनेमेटोग्राफी ने स्टेशन के अंधेरे कोरिडॉर्स और शैडोज को डरावना बना दिया है, जबकि चैतन भारद्वाज का बैकग्राउंड म्यूजिक थ्रिल को बढ़ाता है, हालांकि एक रोमांटिक सॉन्ग ‘उंडिपोवे नथोने’ बेकार लगता है। प्रोडक्शन वैल्यूज ठीक हैं, लेकिन कुछ ट्विस्ट्स प्रेडिक्टेबल हैं, जैसे हॉस्पिटल सीक्वेंस जो मोमेंटम बनाए रखता है लेकिन इमोशनल डेप्थ की कमी महसूस होती है। कुल मिलाकर, फिल्म का फ्लैशबैक और ट्विस्ट्स पहले हाफ को मजबूत बनाते हैं, लेकिन क्लाइमेक्स में इंट्रापर्सनल कॉन्फ्लिक्ट को बेहतर तरीके से हैंडल किया जा सकता था।
दर्शकों की प्रतिक्रिया और फिल्म की संभावनाएं
रिलीज के बाद ‘किष्किंधापुरी’ को मिश्रित लेकिन ज्यादातर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं, जहां आईएमडीबी पर 8.6 रेटिंग ने इसे सराहा गया है, जबकि टाइम्स ऑफ इंडिया ने 3 स्टार दिए और कहा कि यह चिल्स देती है लेकिन कुछ फ्लॉज के साथ। रेडिट पर यूजर्स ने इसे ‘वर्थ वॉच’ बताया, जहां एक ने लिखा कि जंप स्केयर्स ऑर्गेनिक हैं लेकिन कुछ फोरशैडोइंग ज्यादा है, जबकि दूसरा ने कहा कि यह ‘स्ट्रेंजर थिंग्स’ और ‘डेविल मेड डू इट’ से इंस्पायर्ड लगती है। सोशल मीडिया पर फैंस ने बेल्लमकोंडा की परफॉर्मेंस और सिनेमेटोग्राफी की तारीफ की, लेकिन कुछ ने दूसरे हाफ को ‘क्रिंगी’ बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फिल्म तेलुगु हॉरर को नया आयाम देगी, खासकर वीएफएक्स और म्यूजिक के मामले में, और ओटीटी पर रिलीज के बाद ग्लोबल ऑडियंस को आकर्षित करेगी। हालांकि, कुछ क्रिटिक्स ने इसे जेनरिक प्लॉट का आरोप लगाया, लेकिन सेल्फ-अवेयर ह्यूमर ने इसे वॉचेबल बना दिया।