कौन बनेगा करोड़पति (KBC) 17 के जूनियर एपिसोड में गुजरात की 10 साल की इशित भट्ट को ‘रूड’ और ‘ओवरकॉन्फिडेंट’ कहकर सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वालों के बीच चंडीगढ़ के एक टीचर ने उनका बचाव किया है, और इसे ‘सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम’ का नाम देकर परवरिश से जोड़ा है। 9 अक्टूबर 2025 को प्रसारित इस एपिसोड में इशित ने अमिताभ बच्चन से “रूल्स मत समझाओ” कहकर बात काटी और सवालों के ऑप्शन्स सुनने से पहले ही “लॉक करो” चिल्लाया, जिससे वे वायरल हो गईं लेकिन रामायण के सवाल पर गलती से जीरो रुपये लेकर लौट आईं। चंडीगढ़ के टीचर और एंटरप्रेन्योर शेखर दत्त ने X पर पोस्ट कर कहा, “इशित सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम की शिकार हैं, जहां माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी हर डिमांड पूरी करते हैं।” उन्होंने इशित को ‘मासूम’ बताया और ट्रोलिंग रोकने की अपील की। यह बहस अब बच्चों की परवरिश पर केंद्रित हो गई है, जहां अमिताभ की धैर्य की तारीफ हो रही है। #KBCIshitBhatt और #SixPocketSyndrome ट्रेंड कर रहे हैं, जो आधुनिक पैरेंटिंग की चुनौतियों को उजागर कर रहे हैं।
इशित का KBC एपिसोड: वायरल होने की कहानी
गुजरात के गांधीनगर की कक्षा 5 की छात्रा इशित भट्ट KBC 17 के जूनियर एपिसोड में पहुंची थीं, जहां उन्होंने तेजी दिखाते हुए अमिताभ से कहा, “मुझे रूल्स पता हैं,” और सवालों के ऑप्शन्स सुनने से पहले “लॉक करो” चिल्लाया। रामायण के सवाल—”पहला कांड कौन सा है?”—पर वे गलत जवाब देकर बाहर हो गईं, क्योंकि सही उत्तर ‘बाल कांड’ था। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें ‘अहंकारी’ और ‘बुरी परवरिश’ का नमूना कहने लगे, लेकिन शेखर दत्त ने इसे सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम से जोड़ा, जिसमें बच्चे को छह बड़ों का बेरोकटोक प्यार मिलता है। उन्होंने कहा, “यह चाइना में शुरू हुआ और अब भारत में दिख रहा है।” अमिताभ ने धैर्य से स्थिति संभाली और कहा, “बच्चे कभी-कभी ओवरकॉन्फिडेंस में गलती कर जाते हैं।” यह एपिसोड KBC की टीआरपी बढ़ाने के साथ-साथ परवरिश पर सवाल उठा रहा है।
सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम: मतलब और पैरेंटिंग टिप्स
सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम तब होता है जब बच्चे को माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी से हर ख्वाहिश पूरी होती है, जिससे वे अनुशासन और सम्मान नहीं सीख पाते। शेखर दत्त ने इसे चाइनीज़ पैरेंटिंग से जोड़ा, जहां बच्चे हर चीज़ की उम्मीद करने लगते हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ. समंत दर्शी कहते हैं, “इससे बच्चे में हकदारी की भावना आती है, जैसे इशित का बात काटना।” पैरेंटिंग टिप्स में शामिल हैं: बच्चों को नियम सिखाना, ‘न’ कहना और अनुशासन सेट करना। दत्त ने कहा, “ट्रोलिंग से कुछ नहीं होगा, समझदारी से सॉल्यूशन निकलेगा।” सोशल मीडिया पर लोग अपनी कहानियाँ शेयर कर रहे हैं, जहां कुछ ने पैरेंट्स को जिम्मेदार ठहराया। यह बहस नई पीढ़ी की परवरिश पर सवाल उठाती है। क्या यह सिंड्रोम भारतीय परिवारों की नई चुनौती है?